Author: seema
Faag Utsav
राजस्थानी भाषा को मान्यता देने से करनी होगी शुरुआत:गायिका सीमा मिश्रा बोलीं- लोक संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए पहले भाषा को प्रोत्साहन देना होगा
भारत का प्रखर राष्ट्रवादी साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन सम्पर्क क्रांति परिवार एवं सीमा मिश्रा राजस्थान लोक संगीत- कला अकादमी के संयुक्त तत्वाधान में राजस्थान की लता,मरू कोकिला सीमा मिश्रा जल्द ही लेकर आ रही है स्वर साधकों की खोज में राष्ट्रीय स्तरीय भव्य संगीत प्रतियोगिता स्वर माधुरी भारत की गुलाबी नगरी जयपुर में।
लगने जा रहा है
स्वर साधकों का महाकुंभ।
जहां निकलेंगे स्वर शिरोमणि
स्वर मंथन से।
अगर है स्वर साधक आप तो हो जाए तैयार अपनी प्रतिभा दिखाने को।
स्वर माधुरी 2023 स्वर साधकों की खोज।
पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन)16 सितंबर 2023 से शुरू 15 नवंबर 2023अंतिम तिथि है।।
राजस्थानी भाषा को मान्यता देने से करनी होगी शुरुआत:गायिका सीमा मिश्रा बोलीं- लोक संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए पहले भाषा को प्रोत्साहन देना होगा
राजस्थान फोरम की डेजर्ट सोल सीरीज़ में रूबरू हुईं जानी मानी लोक गायिका सीमा मिश्रा
लोक संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए पहले भाषा को प्रोत्साहन देना होगा, और भाषा को मान्यता देने की शुरुआत घर से होगी : सीमा मिश्रा
जयपुर। राजस्थान फोरम की डेजर्ट सोल सीरीज़ में सोमवार को प्रदेश की जानी मानी लोक गायिका सीमा मिश्रा शहर के संस्कृति प्रेमियों से रूबरू हुईं l इस मौके पर राजस्थान फोरम की सदस्या और रंगकर्मी डॉ. सालेहा गाज़ी ने विभिन्न रोचक सवालों के जरिए सीमा मिश्रा की तीस वर्ष से भी अधिक की लोक गायकी की यात्रा में आए विभिन्न पड़ावों और सीमा द्वारा इस क्षेत्र में किए गए कार्यों को वहां मौजूद श्रोताओं के समक्ष रखा।
डेजर्ट सोल सिरीज़ राजस्थान फोरम की पहल है, जिसका आयोजन ITC राजपूतना के सहयोग से किया जाता है और ये सीरीज श्री सीमेंट के सी. एस. आर इनिशिएटिव के तहत सपोर्टेड है । इस सीरीज में राजस्थान की उन हस्तियों के कृतित्व पर चर्चा की जाती है, जिन्होंने राजस्थान में रह कर उल्लेखनीय कार्य किया है ।
अगर ठान लिया जाए तो चुनौती कुछ नहीं होती
अपने लोक गायकी के सफर के बारे में बताते हुए सीमा मिश्रा ने कहा कि अगर ठान लिया जाए तो चुनौती कुछ नहीं होती। मैंने यही किया और ठान लिया कि मुझे गायन में ही भविष्य बनाना है। मेरे इस दृढ निश्चय से हर चुनौति सफलता बनती चली गई।
मेरे संगतकार मेरा परिवार है
अपने संगतकारों का ज़िक्र करते हुए सीमा ने कहा कि बिना साज के आवाज़ अधूरी रहती है। मेरे संगतकार मेरा परिवार हैं, मैं अपने हर कार्यक्रम में उन्हें खुद के समान ही आदर दिलवाती हूं। मैं जहां ठहरती हूं, जो खाती हूं, जिस साधन से जाती हूँ उन्हें भी वही सुविधाएं दिलवाती हूं।
आज भी लोग मुझे चेहरे से कम आवाज़ से ज़्यादा पहचानते हैं
बातचीत के दौरान सीमा ने बताया कि लोग मुझे नाम से कम और उनके काम यानी आवाज़ से ज़्यादा पहचानते हैं। एक वाकिया सुनते हुए उन्होंने कहा कि एक मंदिर के बाहर भजनों की कैसेट बिक रही थी, वह जब वहां पहुंची तो दुकानदार ने उन्हें उन्हीं के भजनों की कैसेट यह कहकर बेची कि “यह सीमा मिश्रा की कैसेट है जो बहुत अच्छा गाती है।”
अंत में भाषा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि लोक संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए पहले भाषा को प्रोत्साहन देना होगा, और भाषा को मान्यता देने की शुरुआत घर से होगी।
इससे पूर्व राजस्थान फोरम के सदस्य अशोक राही ने कार्यक्रम में आए अतिथियों और कलाकारों का अभिनंदन किया। टॉक शो में मौजूद फोरम के सदस्य पद्मश्री राम किशोर छीपा और पद्मश्री मुन्ना मास्टर ने सीमा मिश्रा को स्मृति चिन्ह भेंट कर फोरम की ओर से उनका अभिनंदन किया।
इस मौके पर राजस्थान फोरम के सदस्य तिलक गिताई, मंजरी महाजनी, विद्या सागर उपाध्याय और सांस्कृतिक समन्वयक सर्वेश भट्ट सहित शहर के चुनिंदा संस्कृति प्रेमी भी मौजूद थे।
- Tags interview
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